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अध्याय 18: श्री चैतन्य महाप्रभु द्वारा वृन्दावन में भ्रमण
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श्लोक 159
श्लोक
2.18.159
যাইতে এক বৃক্ষ-তলে প্রভু সবা লঞা
বসিলা, সবার পথ-শ্রান্তি দেখিযা
याइते एक वृक्ष - तले प्रभु सबा लञा ।
वसिला, सबार पथ - श्रान्ति देखिया ॥159॥
अनुवाद
श्री चैतन्य महाप्रभु, चलते-चलते समझ गए कि अन्य लोग थक गए हैं, इसलिए वे सबको एक वृक्ष के नीचे ले गए और बैठ गए।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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