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श्लोक 158
श्लोक
2.18.158
প্রেমী কৃষ্ণদাস, আর সেইত ব্রাহ্মণ
গঙ্গা-তীর-পথে যাইবার বিজ্ঞ দুই-জন
प्रेमी कृष्णदास, आर सेइत ब्राह्मण ।
गङ्गा - तीर - पथे याइबार विज्ञ दुइ - जन ॥158॥
अनुवाद
गंगा नदी के किनारे-किनारे चलने वाले मार्ग को राजपूत कृष्णदास और सनोड़िया ब्राह्मण, दोनों अच्छी तरह से पहचानते थे।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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