श्री चैतन्य चरितामृत  »  लीला 2: मध्य लीला  »  अध्याय 18: श्री चैतन्य महाप्रभु द्वारा वृन्दावन में भ्रमण  »  श्लोक 154
 
 
श्लोक  2.18.154 
যে তোমার ইচ্ছা, আমি সেইত করিব
যাহাঙ্ লঞা যাহ তুমি, তাহাঙি যাইব”
ये तोमार इच्छा, आमि सेइत करिब ।
याहाँ लञा याह तुमि, ताहाङि याइब” ॥154॥
 
अनुवाद
“तुम्हारी इच्छा पूर्ति में मैं संकोच नहीं करूंगा। तुम मुझे जहाँ भी ले जाओगे, मैं खुशी-खुशी वहाँ चलूंगा।”
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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