श्री चैतन्य चरितामृत  »  लीला 2: मध्य लीला  »  अध्याय 18: श्री चैतन्य महाप्रभु द्वारा वृन्दावन में भ्रमण  »  श्लोक 15
 
 
श्लोक  2.18.15 
তবে চলি’ আইলা প্রভু ‘সুমনঃ-সরোবর’
তাহাঙ্ ‘গোবর্ধন’ দেখি’ হ-ইলা বিহ্বল
तबे च लि’ आइला प्रभु ‘सुमनः - सरोव र’ ।
ताहाँ ‘गोवर्ध न’ देखि’ हइला विह्वल ॥15॥
 
अनुवाद
राधाकुण्ड से श्री चैतन्य महाप्रभु सुमनस्-सरोवर गये। वहाँ से जब गोवर्धन पर्वत के दर्शन हुए, तो वे हर्ष से अभिभूत हो गये।
 
 ✨ ai-generated
 
 
  Connect Form
  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
  © copyright 2025 vedamrit. All Rights Reserved.