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श्लोक 2.18.15  |
তবে চলি’ আইলা প্রভু ‘সুমনঃ-সরোবর’
তাহাঙ্ ‘গোবর্ধন’ দেখি’ হ-ইলা বিহ্বল |
तबे च लि’ आइला प्रभु ‘सुमनः - सरोव र’ ।
ताहाँ ‘गोवर्ध न’ देखि’ हइला विह्वल ॥15॥ |
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अनुवाद |
राधाकुण्ड से श्री चैतन्य महाप्रभु सुमनस्-सरोवर गये। वहाँ से जब गोवर्धन पर्वत के दर्शन हुए, तो वे हर्ष से अभिभूत हो गये। |
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