श्री चैतन्य चरितामृत  »  लीला 2: मध्य लीला  »  अध्याय 18: श्री चैतन्य महाप्रभु द्वारा वृन्दावन में भ्रमण  »  श्लोक 149
 
 
श्लोक  2.18.149 
প্রাতঃ-কালে আইসে লোক, তোমারে না পায
তোমারে না পাঞা লোক মোর মাথা খায
प्रातःकाले आइसे लोक, तोमारे ना पाय ।
तोमारे ना पाञा लोक मोर माथा खाय ॥149॥
 
अनुवाद
"सुबह-सुबह लोग यहाँ आते हैं और आपको यहाँ नहीं पाकर, मुझ पर आक्रमण कर देते हैं।"
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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