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श्लोक 146
श्लोक
2.18.146
আপনার দুঃখ কিছু করি’ নিবেদন
‘মকর-পঙ্চসি প্রযাগে’ করিহ সূচন
आपनार दुःख किछु करि’ निवेदन ।
‘मकर - पँचसि प्रया गे’ करिह सूचन ॥146॥
अनुवाद
सनोड़िया ब्राह्मण ने आगे कहा, "जो दुःख तुम अपने मन में अनुभव कर रहे हो, उसे चैतन्य महाप्रभु के सामने निवेदन करो। तत्पश्चात यह प्रस्ताव रखो कि हमें माघ मास की पूर्णिमा पर प्रयाग जाना है।"
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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