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श्लोक 2.18.144  |
‘সোরো-ক্ষেত্রে, আগে যাঞা করি’ গঙ্গা-স্নান
সেই পথে প্রভু লঞা করিযে পযান |
‘सोरो - क्षेत्रे, आगे याञा करि’ गङ्गा - स्नान ।
सेइ पथे प्रभु लञा करिये पयान ॥144॥ |
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अनुवाद |
"सोरोक्षेत्र नामक तीर्थस्थान जाकर तथा गंगा में स्नान करके हम श्रीचैतन्य महाप्रभु को उसी रास्ते से लेकर चलें।" |
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