श्री चैतन्य चरितामृत  »  लीला 2: मध्य लीला  »  अध्याय 18: श्री चैतन्य महाप्रभु द्वारा वृन्दावन में भ्रमण  »  श्लोक 142
 
 
श्लोक  2.18.142 
বৃন্দাবন হৈতে যদি প্রভুরে কাডিযে
তবে মঙ্গল হয, — এই ভাল যুক্তি হযে
वृन्दावन हैते यदि प्रभुरे काड़िये ।
तबे मङ्गल हय, - एइ भाल युक्ति हये ॥142॥
 
अनुवाद
“श्री चैतन्य महाप्रभु को वृन्दावन से बाहर ले चलने में ही भलाई है। यही मेरा अन्तिम निर्णय है।”
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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