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श्लोक 2.18.137  |
এত বলি’ ঝাঙ্প দিলা জলের উপরে
ডুবিযা রহিলা প্রভু জলের ভিতরে |
एत ब लि’ झाँप दिला जलेर उपरे ।
डुबिया रहिला प्रभु जलेर भितरे ॥137॥ |
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अनुवाद |
श्री चैतन्य महाप्रभु ने मन में सोचा कि अक्रूर जल के भीतर कैसे रहा होगा और वे स्वयं तुरंत जल में कूद गए तथा कुछ समय तक जल के भीतर ही रहे। |
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