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श्लोक 2.18.135  |
এক-দিন সেই অক্রূর-ঘাটের উপরে
বসি’ মহাপ্রভু কিছু করেন বিচারে |
एक - दिन सेइ अक्रूर - घाटेर उपरे ।
वसि’ महाप्रभु किछु करेन विचारे ॥135॥ |
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अनुवाद |
एक दिन श्री चैतन्य महाप्रभु अक्रूर-तीर्थ के स्नानघाट पर बैठे और इस प्रकार सोचने लगे। |
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