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श्लोक 2.18.132  |
অবসর না পায লোক নিমন্ত্রণ দিতে
সেই বিপ্রে সাধে লোক নিমন্ত্রণ নিতে |
अवसर ना पाय लोक निमन्त्रण दिते ।
सेइ विप्रे साधे लोक निमन्त्रण निते ॥132॥ |
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अनुवाद |
चूंकि प्रत्येक व्यक्ति को श्री चैतन्य महाप्रभु को आमंत्रित करने का अवसर नहीं मिला, इसलिए उन्होंने सनोड़िया ब्राह्मण से निवेदन किया कि वह प्रभु से उनका निमंत्रण स्वीकार करने के लिए कहे। |
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