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अध्याय 18: श्री चैतन्य महाप्रभु द्वारा वृन्दावन में भ्रमण
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श्लोक 13
श्लोक
2.18.13
এই-মত স্তুতি করে প্রেমাবিষ্ট হঞা
তীরে নৃত্য করে কুণ্ড-লীলা সঙরিযা
एइ - मत स्तुति करे प्रेमाविष्ट हञा ।
तीरे नृत्य करे कुण्ड - लीला सरिया ॥13॥
अनुवाद
ऐसे श्री चैतन्य महाप्रभु ने राधाकुण्ड की स्तुति की। अति भावविभोर हो, वह राधाकुण्ड के तट पर नृत्य करने लगे, श्री कृष्ण द्वारा राधाकुण्ड के तट पर की गई लीलाओं का स्मरण कर।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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