श्री चैतन्य चरितामृत  »  लीला 2: मध्य लीला  »  अध्याय 18: श्री चैतन्य महाप्रभु द्वारा वृन्दावन में भ्रमण  »  श्लोक 129
 
 
श्लोक  2.18.129 
মাধব-পুরীর শিষ্য সেইত ব্রাহ্মণ
মথুরার ঘরে-ঘরে করা’ন নিমন্ত্রণ
माधव - पुरीर शिष्य सेइत ब्राह्मण ।
मथुरार घरे - घरे करा’न निमन्त्रण ॥129॥
 
अनुवाद
माधवेन्द्र पुरी के ब्राह्मण शिष्य ने मथुरा के घर-घर जाकर अन्य ब्राह्मणों को ये कहते हुए प्रोत्साहित किया की भगवान चैतन्य महाप्रभु को अपने घरों में बुलाओ।
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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