श्री चैतन्य चरितामृत  »  लीला 2: मध्य लीला  »  अध्याय 18: श्री चैतन्य महाप्रभु द्वारा वृन्दावन में भ्रमण  »  श्लोक 128
 
 
श्लोक  2.18.128 
এই-মত কত-দিন ‘অক্রূরে’ রহিলা
কৃষ্ণ-নাম-প্রেম দিযা লোক নিস্তারিলা
एइ - मत कत - दिन ‘अक्रूरे’ रहिला ।
कृष्ण - नाम - प्रेम दिया लोक निस्तारिला ॥128॥
 
अनुवाद
श्री चैतन्य महाप्रभु कुछ समय अक्रूर तीर्थ में रहे। उन्होंने वहाँ पर कृष्ण-नाम और भगवान के प्रति प्रेम का वितरण करके सबको उद्धार किया।
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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