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श्लोक 2.18.126  |
এইত’ মহিমা — তোমার ‘তটস্থ’-লক্ষণ
‘স্বরূপ’-লক্ষণে তুমি — ‘ব্রজেন্দ্র-নন্দন’ |
एइत’ महिमा - तोमार ‘तटस्थ’ - लक्षण ।
‘स्वरूप’ - लक्षणे तुमि - ‘व्रजेन्द्र - नन्दन’ ॥126॥ |
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अनुवाद |
"आपके ये गौरव केवल बाहरी विशेषताएँ हैं। असल में आप महाराज नंद के पुत्र हैं।" |
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