श्री चैतन्य चरितामृत  »  लीला 2: मध्य लीला  »  अध्याय 18: श्री चैतन्य महाप्रभु द्वारा वृन्दावन में भ्रमण  »  श्लोक 120
 
 
श्लोक  2.18.120 
অলৌকিক ‘প্রকৃতি’ তোমার — বুদ্ধি-অগোচর
তোমা দেখি’ কৃষ্ণ-প্রেমে জগত্ পাগল
अलौकिक ‘प्रकृति’ तोमार - बुद्धि - अगोचर ।
तोमा दे खि’ कृष्ण - प्रेमे जगत्पागल ॥120॥
 
अनुवाद
सचमुच, आपके गुण असाधारण हैं और सामान्य जीव की कल्पना से परे हैं। बस आपको देखकर ही संपूर्ण ब्रह्मांड कृष्ण के लिए पागल हो जाता है।
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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