श्री चैतन्य चरितामृत  »  लीला 2: मध्य लीला  »  अध्याय 18: श्री चैतन्य महाप्रभु द्वारा वृन्दावन में भ्रमण  »  श्लोक 11
 
 
श्लोक  2.18.11 
কুণ্ডের ‘মাধুরী’ — যেন রাধার ‘মধুরিমা’
কুণ্ডের ‘মহিমা’ — যেন রাধার ‘মহিমা’
कुण्डेर ‘माधुरी’ - येन राधार ‘मधुरिमा’ ।
कुण्डेर ‘महिमा’ - येन राधार ‘महिमा’ ॥11॥
 
अनुवाद
राधाकुण्ड का आकर्षण श्रीमती राधारानी की तरह ही मनमोहक है। इसी प्रकार कुण्ड [झील] की महिमा भी श्रीमती राधारानी की महिमा के समान ही महान है।
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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