प्रभु कहे, - ‘काहाँ पाइला कृष्ण दरशन?’ ।
लोक कहे , - ’सन्न्यासी तुमि जङ्गम - नारायण ॥109॥
अनुवाद
तब श्री चैतन्य महाप्रभु ने उनसे पूछा, "तुमने कृष्ण को प्रत्यक्ष कहाँ देखा है?" लोगों ने उत्तर दिया, "आप एक संन्यासी हैं, इसलिए आप स्वयं श्री नारायण हैं।"