श्री चैतन्य चरितामृत  »  लीला 2: मध्य लीला  »  अध्याय 18: श्री चैतन्य महाप्रभु द्वारा वृन्दावन में भ्रमण  »  श्लोक 108
 
 
श्लोक  2.18.108 
কিন্তু কাহোঙ্ ‘কৃষ্ণ’ দেখে, কাহোঙ্ ‘ভ্রম’ মানে
স্থাণু-পুরুষে যৈছে বিপরীত-জ্ঞানে
किन्तु काहों ‘कृष्ण’ देखे, काहों ‘भ्रम’ माने ।
स्थाणु - पुरुषे यैछे विपरीत - ज्ञाने ॥108॥
 
अनुवाद
"इस बात में उनका भ्रम है कि वे कृष्ण को देख रहे हैं। यह तो ऐसा ही है जैसे सूखे हुए पेड़ को मनुष्य मानना।"
 
 ✨ ai-generated
 
 
  Connect Form
  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
  © copyright 2025 vedamrit. All Rights Reserved.