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श्लोक 2.18.106  |
নৌকাতে কালীয-জ্ঞান, দীপে রত্ন-জ্ঞানে!
জালিযারে মূঢ-লোক ‘কৃষ্ণ’ করি’ মানে! |
नौकाते कालीय - ज्ञान, दीपे रन - ज्ञाने! ।
जालियारे मूढ़ - लोक ‘कृष्ण’ करि’ माने! ॥106॥ |
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अनुवाद |
“ये मूर्ख समझते हैं कि नाव ही कालीय नाग है और मशाल की रोशनी उसके सिर पर सजे हुए मणियाँ है। लोग मछुआरे को भी कृष्ण समझने लगते हैं।” |
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