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श्लोक 2.18.105  |
দূর হৈতে তাহা দেখি’ লোকের হয ‘ভ্রম’
‘কালীযের শরীরে কৃষ্ণ করিছে নর্তন’! |
दूर हैते ताहा देखि’ लोकेर हय ‘भ्रम’ ।
‘कालीयेर शरीरे कृष्ण करिछे नर्तन’! ॥105॥ |
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अनुवाद |
"दूर से देखने पर लोग गलती से समझ लेते हैं कि वे कालीय नाग के बदन पर कृष्ण को नाचते हुए देख रहे हैं।" |
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