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श्लोक 2.18.102  |
‘বাতুল’ না হ-ইও, ঘরে রহত বসিযা
‘কৃষ্ণ’ দরশন করিহ কালি রাত্র্যে যাঞা” |
‘वातुल’ ना हइओ, घरे रहत वसिया ।
‘कृष्ण’ दरशन करिह कालि रात्र्ये याञा” ॥102॥ |
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अनुवाद |
“अपना दिमाग़ ख़राब न करो। यहीं बैठो और कल रात तुम कृष्ण दर्शन करने चले जाना।” |
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