श्री चैतन्य चरितामृत  »  लीला 2: मध्य लीला  »  अध्याय 16: महाप्रभु द्वारा वृन्दावन जाने की चेष्टा  »  श्लोक 84
 
 
श्लोक  2.16.84 
এই-মত মহাপ্রভুর চারি বত্সর গেল
দক্ষিণ যাঞা আসিতে দুই বত্সর লাগিল
एइ - मत महाप्रभुर चारि वत्सर गेल ।
दक्षिण ग्राजा आसिते दुइ वत्सर लागिल ॥84॥
 
अनुवाद
इस प्रकार श्री चैतन्य महाप्रभु ने चार वर्ष व्यतीत किए। प्रथम दो वर्ष उन्होंने दक्षिण भारत की अपनी यात्रा में लगाए।
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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