श्री चैतन्य चरितामृत  »  लीला 2: मध्य लीला  »  अध्याय 16: महाप्रभु द्वारा वृन्दावन जाने की चेष्टा  »  श्लोक 74
 
 
श्लोक  2.16.74 
যাঙ্হার দর্শনে মুখে আইসে কৃষ্ণ-নাম
তাঙ্হারে জানিহ তুমি ‘বৈষ্ণব-প্রধান’
याँहार दर्शने मुखे आइसे कृष्ण - नाम ।
ताँहारे जानिह तुमि ‘वैष्णव - प्रधान’ ॥74॥
 
अनुवाद
श्री चैतन्य महाप्रभु ने कहा, "उत्तम श्रेणी का वैष्णव वह होता है, जिसकी उपस्थिति से ही अन्य लोग कृष्ण के पवित्र नाम का जप करने लगते हैं।"
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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