श्री चैतन्य चरितामृत  »  लीला 2: मध्य लीला  »  अध्याय 16: महाप्रभु द्वारा वृन्दावन जाने की चेष्टा  »  श्लोक 7
 
 
श्लोक  2.16.7 
রামানন্দ, সার্বভৌম, দুই-জনা-স্থানে
তবে যুক্তি করে প্রভু — ‘যাব বৃন্দাবনে’
रामानन्द, सार्वभौम, दुइ - जना - स्थाने ।
तबे युक्ति करे प्रभु - ‘याब वृन्दावने’ ॥7॥
 
अनुवाद
इसके बाद श्री चैतन्य महाप्रभु ने खुद रामानन्द राय और सार्वभौम भट्टाचार्य से परामर्श किया और कहा, “मैं वृन्दावन जाऊँगा।”
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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