श्री चैतन्य चरितामृत » लीला 2: मध्य लीला » अध्याय 16: महाप्रभु द्वारा वृन्दावन जाने की चेष्टा » श्लोक 218 |
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| | श्लोक 2.16.218  | মহৈশ্বর্য-যুক্ত দুঙ্হে — বদান্য, ব্রহ্মণ্য
সদাচারী, সত্কুলীন, ধার্মিকাগ্র-গণ্য | महैश्वर्य - युक्त दुँहे - वदान्य, ब्रह्मण्य ।
सदाचारी, सत्कुलीन, धार्मिकाग्र - गण्य ॥218॥ | | अनुवाद | हिरण्य तथा गोवर्धन मजुमदार दोनो ही बहुत धनी तथा उदार थे। वे हमेशा अच्छे व्यवहार वाले तथा ब्राम्हण संस्कृति के प्रति समर्पित थे। वे एक उच्च कुल के थे और धार्मिक लोगों में उनका बहुत सम्मान था। | | |
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