|
|
|
श्लोक 2.16.147  |
এই-মত কহি’ তাঙ্রে প্রবোধ করিলা
দুই-জনে শোকাকুল নীলাচলে আইলা |
एइ - मत क हि’ ताँरे प्रबोध करिला ।
दुइ - जने शोकाकुल नीलाचले आइला ॥147॥ |
|
अनुवाद |
इस प्रकार से सार्वभौम भट्टाचार्य ने गदाधर पण्डित में प्राण डाले। फिर वे दोनों अति शोकाकुल होकर जगन्नाथ पुरी, अर्थात् नीलाचल वापिस चले आये। |
|
|
|
✨ ai-generated |
|
|