श्री चैतन्य चरितामृत  »  लीला 2: मध्य लीला  »  अध्याय 16: महाप्रभु द्वारा वृन्दावन जाने की चेष्टा  »  श्लोक 126
 
 
श्लोक  2.16.126 
রামানন্দ, মর্দরাজ, শ্রী-হরিচন্দন
সঙ্গে সেবা করি’ চলে এই তিন জন
रामानन्द, मर्दराज, श्री - हरिचन्दन ।
सड़े सेवा क रि’ चले एइ तिन जन ॥126॥
 
अनुवाद
रामानंद राय, मर्दराज और श्री हरिचन्दन हमेशा श्री चैतन्य महाप्रभु के संग रहते और तरह-तरह की सेवा करते थे।
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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