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श्लोक 2.15.63  |
ঈশানে বোলাঞা পুনঃ স্থান লেপাইল
পুনরপি গোপালকে অন্ন সমর্পিল |
ईशाने बोलाञा पुनः स्थान लेपाइल ।
पुनरपि गोपालके अन्न समर्पिल ॥63॥ |
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अनुवाद |
"इस तरह विचार करते हुए उसने अपने सेवक ईशान को बुलाया और उस स्थान की फिर से सफाई करवाई। उसने फिर गोपाल को दूसरी थाल भेंट की।" |
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