श्री चैतन्य चरितामृत  »  लीला 2: मध्य लीला  »  अध्याय 15: महाप्रभु द्वारा सार्वभौम भट्टाचार्य के घर पर प्रसाद स्वीकार करना  »  श्लोक 35
 
 
श्लोक  2.15.35 
গোসাঞির আবেশ দেখি’ লোকে চমত্কার
সর্ব-লোক ‘জয’ ‘জয’ বলে বার বার
गोसाञि र आवेश देखि’ लोके चमत्कार ।
सर्व - लोक ‘जय’ ‘जय’ बले बार बार ॥35॥
 
अनुवाद
श्री चैतन्य महाप्रभु के भावविभोर अवतार को देखकर हर कोई चकित रह गया और बार-बार "जय हो! जय हो!" का जयघोष करने लगा।
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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