श्री चैतन्य चरितामृत  »  लीला 2: मध्य लीला  »  अध्याय 15: महाप्रभु द्वारा सार्वभौम भट्टाचार्य के घर पर प्रसाद स्वीकार करना  »  श्लोक 27
 
 
श्लोक  2.15.27 
প্রতাপরুদ্রের আজ্ঞায পডিছা-তুলসী
জগন্নাথের প্রসাদ-বস্ত্র এক লঞা আসি
प्रतापरुद्रेर आज्ञाय पड़िछा - तुलसी ।
जगन्नाथेर प्रसाद - वस्त्र एक लञा आसि ॥27॥
 
अनुवाद
महाराज प्रतापरुद्र जी की आज्ञा पाकर मंदिर के निरीक्षक तुलसी जी भगवान जगन्नाथ के उतारे हुए वस्त्रों में से एक वस्त्र को लेकर आए।
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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