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श्लोक 2.15.233  |
উদ্যোগ না ছিল মোর গৃহিণীর রন্ধনে
যাঙ্র শক্ত্যে ভোগ সিদ্ধ, সেই তাহা জানে |
उद्योग ना छिल मोर गृहिणीर रन्धने ।
याँर शक्त्ये भोग सिद्ध, सेइ ताहा जाने ॥233॥ |
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अनुवाद |
“मैं और मेरी पत्नी ने खाना पकाने में कोई ज्यादा मेहनत नहीं की। जिसकी शक्ति से ये खाना बना है, वह सब कुछ जानती है। |
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