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श्लोक 2.15.131  |
রঘুনন্দনের কার্য — কৃষ্ণের সেবন
কৃষ্ণ-সেবা বিনা ইঙ্হার অন্য নাহি মন |
रघुनन्दनेर कार्य - कृष्णेर सेवन ।
कृष्ण - सेवा विना इँहार अन्य नाहि मन ॥131॥ |
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अनुवाद |
इसके अलावा, रघुनन्दन का यह भी दायित्व है कि वह सदैव भगवान कृष्ण की सेवा में लगा रहे। भगवान कृष्ण की सेवा के अलावा उसका कोई और उद्देश्य नहीं है। |
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