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श्लोक 2.15.122  |
হেন-কালে এক মযূর-পুচ্ছের আডানী
রাজ-শিরোপরি ধরে এক সেবক আনি’ |
हेन - काले एक मयूर - पुच्छेर आड़ानी ।
राज - शिरोपरि धरे एक सेवक आनि’ ॥122॥ |
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अनुवाद |
"जब राजा और मुकुंद दास बातें कर रहे थे, एक सेवक मोर के पंखों से बना हुआ पंखा लाया ताकि राजा के सिर को धूप से बचाया जा सके। इसलिए उसने पंखा राजा के सिर के ऊपर पकड़ लिया।" |
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