বাহ্যে রাজ-বৈদ্য ইঙ্হো করে রাজ-সেবা
অন্তরে কৃষ্ণ-প্রেম ইঙ্হার জানিবেক কেবা
बाह्ये राज - वैद्य इँहो करे राज - सेवा ।
अन्तरे कृष्ण - प्रेम इँहार जानिबेक केबा ॥120॥
अनुवाद
“बाहर से, मुकुंद दास एक राजकीय वैद्य के रूप में दिखाई देते हैं, जो सरकारी सेवा में लगे हुए हैं, लेकिन भीतर ही भीतर उनका कृष्ण के प्रति अगाध प्रेम है। उनके प्रेम को कौन समझ सकता है?