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श्लोक 2.14.75  |
নানোদ্যানে ভক্ত-সঙ্গে বৃন্দাবন-লীলা
‘ইন্দ্রদ্যুম্ন’-সরোবরে করে জল-খেলা |
नानोद्याने भक्त - सङ्गे वृन्दावन - लीला ।
‘इन्द्रद्युम्न’ - सरोवरे करे जल - खेला ॥75॥ |
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अनुवाद |
गुण्डिचा मन्दिर के नज़दीक बहुत सारे बगीचे थे जहाँ श्री चैतन्य महाप्रभु और उनके भक्त उनमें से हर एक में वृन्दावन की लीलाओं का अभिनय किया करते थे। इन्द्रद्युम्न नामक सरोवर में वे पानी में क्रीड़ा किया करते थे। |
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