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श्लोक 2.14.46  |
‘হরি-বোল’ বলি’ কাঙ্গাল প্রেমে ভাসি’ যায
ঐছন অদ্ভুত লীলা করে গৌররায |
‘हरि - बोल’ बलि’ काङ्गाल प्रेमे भासि’ याय ।
ऐछन अद्भुत लीला करे गौरराय ॥46॥ |
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अनुवाद |
जैसे ही भिखारियों ने “हरिबोल” का जाप किया, वे तुरंत ही ईश्वरीय प्रेम में डूब गए। इस तरह श्री चैतन्य महाप्रभु ने अद्भुत लीलाएँ कीं। |
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