श्री चैतन्य चरितामृत  »  लीला 2: मध्य लीला  »  अध्याय 14: वृन्दावन लीलाओं का सम्पादन  »  श्लोक 29
 
 
श्लोक  2.14.29 
অমৃত-মণ্ডা, সরবতী, আর কুম্ডা-কুরী
সরামৃত, সরভাজা, আর সরপুরী
अमृत - मण्डा, सरवती, आर कुम्ड़ा - कुरी ।
सरामृत, सरभाजा, आर सरपुरी ॥29॥
 
अनुवाद
उसमें पपीते, शरबती नारंगी और सीताफल का गूदा था। वहीं, सरभाजा (तली हुई क्रीम), सरामृत (क्रीम) और क्रीम की बनी पूड़ी (सरपुरी) भी थे।
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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