|
|
|
श्लोक 2.14.200  |
পাণি-রোধম্ অবিরোধিত-বাঞ্ছṁ
ভর্ত্সনাশ্ চ মধুর-স্মিত-গর্ভাঃ
মাধবস্য কুরুতে করভোরুর্
হারি শুষ্ক-রুদিতṁ চ মুখে ’পি |
पाणि - रोधमविरोधित - वाञ्छं भर्त्सनाश्च मधुर - स्मित - गर्भाः ।
माधवस्य कुरुते करभोरुर् हारि शुष्क - रुदितं च मुखेऽपि ॥200॥ |
|
अनुवाद |
“असल में उनकी इच्छा नहीं होती कि वे कृष्ण को अपने शरीर को छूने से मना करें, परन्तु हाथी के बच्चे की सूंड़ जैसी जाँघों वाली श्रीमती राधारानी उनके आगे बढ़ने पर विरोध करती हैं और मीठी मुस्कान से उन्हें प्रताड़ित करती हैं। ऐसे मौकों पर वे अपने आकर्षक चेहरे पर बिना आँसुओं के रोती हैं।” |
|
|
|
✨ ai-generated |
|
|