কভু সুখে নৃত্য-রঙ্গ দেখে রথ রাখি’
সে কৌতুক যে দেখিল, সেই তার সাক্ষী
कभु सुखे नृत्य - रङ्ग देखे रथ राखि’ ।
से कौतुक ये देखिल, सेइ तार साक्षी ॥179॥
अनुवाद
प्रभु जगन्नाथ और प्रभु बलराम कभी-कभी रथ रोक देते और आनंद से प्रभु चैतन्य के नृत्य को निहारते। जो भी उन्हें रथ रोककर नृत्य देखते देख सका, उसने उनकी लीलाओं का साक्षात दर्शन किया।