श्री चैतन्य चरितामृत  »  लीला 2: मध्य लीला  »  अध्याय 13: रथयात्रा के समय महाप्रभु का भावमय नृत्य  »  श्लोक 179
 
 
श्लोक  2.13.179 
কভু সুখে নৃত্য-রঙ্গ দেখে রথ রাখি’
সে কৌতুক যে দেখিল, সেই তার সাক্ষী
कभु सुखे नृत्य - रङ्ग देखे रथ राखि’ ।
से कौतुक ये देखिल, सेइ तार साक्षी ॥179॥
 
अनुवाद
प्रभु जगन्नाथ और प्रभु बलराम कभी-कभी रथ रोक देते और आनंद से प्रभु चैतन्य के नृत्य को निहारते। जो भी उन्हें रथ रोककर नृत्य देखते देख सका, उसने उनकी लीलाओं का साक्षात दर्शन किया।
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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