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श्लोक 2.13.167  |
প্রভুর ভাবানুরূপ স্বরূপের গান
যবে যেই রস তাহা করে মূর্তিমান্ |
प्रभुर भावानुरूप स्वरूपेर गान ।
यबे येइ रस ताहा करे मूर्तिमान् ॥167॥ |
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अनुवाद |
स्वरूप दामोदर महाप्रभु के भाव के अनुसार ही गाया करते थे। जब भी महाप्रभु किसी खास रस का आनंद ले रहे होते, स्वरूप दामोदर उसे गाकर मूर्त रूप दे देते थे। |
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