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श्लोक 2.13.161  |
এই সব অর্থ প্রভু স্বরূপের সনে
রাত্রি-দিনে ঘরে বসি’ করে আস্বাদনে |
एइ सब अर्थ प्रभु स्वरूपेर सने ।
रात्रि - दिने घरे वसि’ करे आस्वादने ॥161॥ |
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अनुवाद |
श्री चैतन्य महाप्रभु अपने कमरे में स्वरुप दामोदर जी के साथ बैठ कर दिन-रात इन श्लोकों का आनंद लिया करते थे। |
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