श्री चैतन्य चरितामृत  »  लीला 2: मध्य लीला  »  अध्याय 13: रथयात्रा के समय महाप्रभु का भावमय नृत्य  »  श्लोक 14
 
 
श्लोक  2.13.14 
মহাপ্রভু ‘মণিমা’ ‘মণিমা’ করে ধ্বনি
নানা-বাদ্য-কোলাহলে কিছুই না শুনি
महाप्रभु ‘मणिमा’ ‘मणिमा’ करे ध्वनि ।
नाना - वाद्य - कोलाहले किछुइ ना शुनि ॥14॥
 
अनुवाद
जब भगवान को सिंहासन से रथ तक ले जाया जा रहा था, तब तरह-तरह के वाद्य यंत्रों से ज़ोर-ज़ोर की आवाज़ें हो रही थीं और श्री चैतन्य महाप्रभु "मणिमा! मणिमा!" कह रहे थे लेकिन उनकी आवाज़ किसी को सुनाई नहीं पड़ रही थी।
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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