श्री चैतन्य चरितामृत » लीला 2: मध्य लीला » अध्याय 12: गुण्डिचा मन्दिर की सफाई » श्लोक 53 |
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| | श्लोक 2.12.53  | প্রভু কহে, — পূর্ণ যৈছে দুগ্ধের কলস
সুরা-বিন্দু-পাতে কেহ না করে পরশ | प्रभु कहे, - पूर्ण यैछे दुग्धेर कलस ।
सुरा - बिन्दु - पाते केह ना करे परश ॥53॥ | | अनुवाद | तब श्री चैतन्य महाप्रभु ने कहा, “किसी बड़े पात्र में कितना ही दूध क्यों न हो, परन्तु यदि इसमें शराब की एक बूंद भी मिक्स हो जाती है, तो वह अपवित्र हो जाता है।” | | |
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