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श्लोक 2.12.45  |
উত্কণ্ঠাতে প্রতাপরুদ্র নারে রহিবারে
রামানন্দ সাধিলেন প্রভুরে মিলিবারে |
उत्कण्ठाते प्रतापरुद्र नारे रहिबारे ।
रामानन्द साधिलेन प्रभुरे मिलिबारे ॥45॥ |
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अनुवाद |
चूंकि महाराज प्रतापरुद्र महाप्रभु के दर्शन के अभाव में अत्यन्त व्याकुल थे और वे इस पीड़ा को सहन नहीं कर पा रहे थे, अतएव श्री रामानंद राय ने कुशलतापूर्वक राजा और महाप्रभु की भेंट करा दी। |
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