श्री चैतन्य चरितामृत  »  लीला 2: मध्य लीला  »  अध्याय 12: गुण्डिचा मन्दिर की सफाई  »  श्लोक 123
 
 
श्लोक  2.12.123 
সেই জল লঞা আপনে পান কৈল
তাহা দেখি’ প্রভুর মনে দুঃখ রোষ হৈল
सेइ जल लञा आपने पान कैल ।
ताहा देखि’ प्रभुर मने दुःख रोष हैल ॥123॥
 
अनुवाद
तब उस गौड़ीय वैष्णव ने उस जल को लेकर स्वयं पी लिया। इसे देखकर श्री चैतन्य महाप्रभु कुछ- कुछ दुखी हुए और बाहर से क्रुद्ध भी हुए।
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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