श्री चैतन्य चरितामृत  »  लीला 2: मध्य लीला  »  अध्याय 10: महाप्रभु का जगन्नाथ पुरी लौट आना  »  श्लोक 63
 
 
श्लोक  2.10.63 
প্রভু কহে, — ভট্টাচার্য, শুনহ ইঙ্হার চরিত
দক্ষিণ গিযাছিল ইঙ্হ আমার সহিত
प्रभु कहे, - भट्टाचार्य, शुनह इँहार चरित ।
दक्षिण गियाछिल इँह आमार सहित ॥63॥
 
अनुवाद
श्री चैतन्य महाप्रभु ने कहा, "हे भट्टाचार्य, उस मनुष्य के चरित्र पर विचार कीजिए जो मेरे साथ दक्षिण भारत गया था।"
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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