|
|
|
श्लोक 2.10.187  |
যত নদ নদী যৈছে সমুদ্রে মিলয
ঐছে মহাপ্রভুর ভক্ত যাহাঙ্ তাহাঙ্ হয |
यत नद नदी यैछे समुद्रे मिलय ।
ऐछे महाप्रभुर भक्त याहाँ ताहाँ हय ॥187॥ |
|
अनुवाद |
जैसे सभी नदियां समुद्र में मिलती हैं, वैसे ही पूरे देश के सभी भक्त अंततः श्री चैतन्य महाप्रभु के आश्रय में आने लगे। |
|
|
|
✨ ai-generated |
|
|