श्री चैतन्य चरितामृत  »  लीला 2: मध्य लीला  »  अध्याय 10: महाप्रभु का जगन्नाथ पुरी लौट आना  »  श्लोक 158
 
 
श्लोक  2.10.158 
শুনি’ ব্রহ্মানন্দ করে হৃদযে বিচারে
মোর চর্মাম্বর এই না ভায ইঙ্হারে
शुनि’ ब्रह्मानन्द करे हृदये विचारे ।
मोर चर्माम्बर एइ ना भाय इँहारे ॥158॥
 
अनुवाद
जब ब्रह्मानन्द भारती ने यह सुना, तो उन्होंने सोचा, "श्री चैतन्य महाप्रभु को मेरी हिरण की खाल अच्छी नहीं लग रही।"
 
 ✨ ai-generated
 
 
  Connect Form
  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
  © copyright 2025 vedamrit. All Rights Reserved.