श्री चैतन्य चरितामृत » लीला 2: मध्य लीला » अध्याय 10: महाप्रभु का जगन्नाथ पुरी लौट आना » श्लोक 127 |
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| | श्लोक 2.10.127  | জগদানন্দ, মুকুন্দ, শঙ্কর, সার্বভৌম
সবা-সঙ্গে যথা-যোগ্য করিল মিলন | जगदानन्द, मुकुन्द, शङ्कर, सार्वभौम ।
सबा - सङ्गे यथा - योग्य करिल मिलन ॥127॥ | | अनुवाद | नित्यानंद प्रभु को पूजा अर्पित करने के पश्चात, स्वरूप दामोदर, यथासंभव, जगदानंद, मुकुंद, शंकर और सार्वभौम से मिले। | | |
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